श्री गणेश मंत्र Shri Ganesh Mantra |
गणेश मंत्र (गणपति मंत्र) - बहुत ही फल दायी और शक्ति शाली है जिसका नित्य पाठ करने से भगवान गणेश जी की कृपा प्राप्त होती हैं। गणेश जी विघ्नहर्ता है यानि जीवन के सभी विघ्नों को हरते हैं और जीवन में सफलता और खुशियां प्रदान करते हैं।
Shri “Ganesh Mantra” को आप गणेश चतुर्थी और बुधवार पे ही नहीं, बल्कि Ganesh Mantra रोज़ भी पढ़ सकते हैं, जिससे जीवन में काफी सफलता मिलेगी।
।। गणेश मंत्र ।।
1. वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
2. ॐ एकदन्ताय विद्धमहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात्
3. ॐ लम्बोदराय नमः
4. ऊँ गं गणपतये नम:
5. ऊँ श्री गणेशाय नम:
6. ऊँ नमो भगवते गजाननाय .
ऊँ वक्रतुण्डाय हुम्
7. ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रे सर्व विघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्यकरणाय सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा ॥
8. ऊँ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:। ऊँ ।
9. हीं श्रीं क्लीं गौं वरमूर्र्तये नम: ।
ऊँ गं गणपतये नम:।
10. हीं श्रीं क्लीं नमो भगवते गजाननाय ।
ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् ।
11.ॐ विघ्ननाशाय नमः
12. ॐ सुमुखाय नमः
13. ॐ गजकर्णकाय नमः
14. ॐ विनायकाय नमः
15. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
16. त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
"ॐ गं गणपतये नमः"
यदि आपके जीवन में ढेर सारी परेशानियां हैं और आप उन सब समस्याओं से छुटकारा चाहते हैं तो आप उपरोक्त मंत्र का जाप कर सकते हैं। भगवान गणेश का यह मंत्र इतना चमत्कारी है कि इसके जाप से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं, और जीवन में सफलता मिलने लगती है।
कुंडली में गृह दोष के लिए मंत्र
"गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।"
यदि आपकी कुंडली में गृह दोष हैं तो प्रत्येक बुधवार 11 बार उपरोक्त मंत्र का जाप सच्चे मन से करें। इस मंत्र में भगवान श्रीगणेश के 12 नामों का जाप किया जाता है। ऐसी मान्यता है यदि आप इस मंत्र का जाप किसी मंदिर में भगवान गणेश के सामने बैठकर करें तो आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
यदि आप गणपति जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इसके लिए उपरोक्त मंत्र का जाप सच्चे मन से करें। इस मंत्र सबसे सरल मंत्र माना जाता है। यह मंत्र जितना सरल है उतना ही प्रभावशाली भी। यह मंत्र इतना ज्यादा प्रभावशाली है कि कोई भी कार्य शुरू करने से पूर्व इस मंत्र का जाप आपके सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरा करेगा।
"ॐ गं गणपतये नमः"
अगर आपको सभी मंत्र काफी कठिन लगते हैं तो आप सिर्फ "ॐ गं गणपतये नमः" इस एक मंत्र का जाप जरूर करें, केवल इस एक मंत्र से आपके सभी कार्य सफल होने लगेंगे और जीवन में सभी बाधाएं दूर होने लगेगी।
॥ गणेश जी का आवाहन मंत्र ॥
गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं।
उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।।
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव।।
॥ महागणपति मूल मंत्र ॥
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥ एकदन्ताय विद्महे । वक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
।। श्रीगणेश गायत्री मंत्र ।।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
ॐ गं गणपतये नमो नमः।
।। श्री गणपति स्तोत्र ।।
ॐ गं नमो विघ्नराजाय, सर्व सौख्य प्रदायिने, दुष्टारिष्ट विनाशाय, पराय परमात्मने,
लम्बोदरम, महावीर्यं , नागयज्ञोपशोभितम, अर्द्धचन्द्रं धरंदेवं, विघ्नव्यूह विनाशनम,
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्र: हेरम्बाय नमो नम:,
सर्व सिद्धि प्रदस्त्वमहि, ऋद्धी बुद्धि प्रदोभव, चिन्तितार्थ प्रदस्त्वमहि, सततं मोदक: प्रिय:,
सिन्दुरारुणवस्त्रैच, पूजितो वरदायक:, इदं गणपति स्तोत्रं, यः पठेद् भक्ति मान्नर:,
तस्य देहञ्च गेहञ्च, स्वयं लक्ष्मी र्न मुञ्चती, ॐ गं मेघाद: कीर्तिद : शोकहारी दौर्भाग्यनाशन:,
प्रतिवादी मुख स्तंभों रुष्टं चित प्रसादन: वर वरदये नमः॥