Shri Yashodalala Aarti - आरती करत यसोदा प्रभुदित (Aarti Karata Yasoda Prabhudita)
॥ श्री यशोदालाल आरती ॥
आरति करत यसोदा प्रमुदित,
फूली अङ्ग न मात।
बल-बल कहि दुलरावत
आनन्द मगन भई पुलकात॥
सुबरन-थार रत्न-दीपावलि
चित्रित घृत-भीनी बात।
कल सिन्दूर दूब दधि
अच्छत तिलक करत बहु भाँत॥
अन्न चतुर्विध बिबिध
भोग दुन्दुभि बाजत बहु जात।
नाचत गोप कुम्कुमा
छिरकत देत अखिल नगदात॥
बरसत कुसुम निकर-सुर-नर-
मुनि व्रजजुवती मुसकात।
कृष्णदास-प्रभु गिरधर को (श्री) मुख
निरख लजत ससि-काँत॥