श्री करणी माता वंदना |
।। श्री करणी माता वंदना ।।
पहलो वंदन परमेश्वरी,
है तव मात हमेश।
करे सहाय मां करणी,
देवी देश विदेश।
देवी करणी दाखवों,
हाथ जोड़ हरमेश।
सकवि थारी शरण मे,
खुश रखे
शारदा माँ शरवेश्री ,
राही कंठश राय ।
सुर वाचण सरस्वती,
अम्ब अरप उरधाय ।(1)
अविरल आखां ईशरी ,
परमेश्वरी पंरम ।
धरम रूप धर धारणी ,
सत पत सध सुरमम ।(2)
आरत पारत ईशरी ,
शारत सेवत साथ ।
हिरदै हेत हुळाशणी ,
साची अम्ब संगाथ ।(3)
आवड़ तावड़ आखतां ,
लोवड़ वाली लाज ।
अम्ब आराधत अम्बां ,
साय माइ सुरताज ।(4)
आवड़ करनल अम्बका ,
रामत शुरगा रास ।
सारस जगदंब शारणी ,
आद अम्ब अरदास ।(5)
~~ जय श्री करणी माँ
।। श्री करणी माता वंदना ।।
कर शुद्ध बुद्ध मन करनला
अशुद्ध काढ़ अज्ञान
धर सुरसत उर धरनला
गुण कीरत घण ज्ञान।।
कर वचन सिद्ध करनला
अर अणन्द उर आण।
धजबन्द धीरज धरनला
देवी मढ़ देशाण।।
नित पत नमो नारायणी
समाड़ी रहे सदाय
चाड़ो शब्दमाल चारणी
नित नित शीश नमाय।।
सहस्त्र कारज सारणी
कोटिक नाम कहाय।
पात प्रभाते प्रणमें
शरण राख शुरराय।।
~~कवि राजन झणकली
।। श्री करणी माता वंदना ।।
मेहा घर जनमी महमाया
किनियां कुळ सुवाप कहाया
बाजत थाळ मृदंग बजाया
रिधु बाई निज नाम रखाया।।
आई हिंगोळ मात अवतारी
पात मेहा जद आप पुकारी
करणी रूप धरयो किरतारी
परचा खूब दिया परचारी।।
नाहर रूप देपे निरखाई
मानी सगत रूपम महमाई
दम्भी बण कूपम दरशाई
अंणदे खातिर जद तू आई।।
जगड़ू शाह की जाज तिराई
टूटी ऊंठे टांग जुड़ाई
कपटी काने की कुबधाई
मात पलक मो मोत बताई।।
लाखन पूत जमलोके लाई
मूषक बण रेवे मढ़ मांई
राव बीके नों राज दिराई
देवी जोधाणे नींव धराई।।
~~ कवि राजन झणकली
।। श्री करणी माता वंदना ।।
मढडा वाळी माताने वंदन अमारा
नित उठी प्रभाते करु दर्शन तमारा
मढडा वाळी माताने वंदन अमारा !
कठण कळीकाळ मां माँ आशरो तमारो
बाळक जाणी मने पार उतारो
अज्ञान रूपी दूर करो अंधारा
मढडा वाळी माता ने वंदन अमारा !
भवसागरमा भूलो पड्यो छु
तव चरणो मा मा खूब रड्यो छु
आंसु लूछी ने कापो कष्ट अमारा
मढडावाळी माताने वंदन अमारा !
चारण कूळमा जनम धर्यो छे
देविपुत्र नो बीरुद मळ्यो छे
छतां ए जीव करे कर्म नठारा
मढडा वाळी माता ने वंदन अमारा !
चारणो नी साक्षी मळे छे वेदो मां
उपनिषद रामायण ने भागवत श्र्लोको मां
चार वरण मां थी जणाये छे बारा
मढडावाळी माताने वंदन अमारा !
वर्णासन मा तमे जुओ ने तपासी
ब्राह्मण क्षत्रीय वैश्य शुद्र ने चोरासी
देव कोटी मां खुद ब्रह्मा गणनारा
मढडावाळी माताने वंदन अमारा !
इशरदास जी ये अलखने आराध्या
हरिरस देवियाण ग्रंथ बनाव्या
अमर नाम करी चारण कुळ तारनारा
मढडावाळी माताने वंदन अमारा !
नारायण निवाज्या ज्यारे सांया झुला पर
सांढडी भरी आपी एने सोना महोर
थाळ बनावी प्रभु चरणे धरनारा
मढडावाळी माता ने वंदन अमारा !
आवा पुरुषो थया चारण ज्ञाती मां
वैरागी वचनो जेना लागे छाती मां
नित नारायण ने देजो दर्शन तमारा
मढडावाळी माता ने वंदन अमारा !