श्री लक्ष्मी मंत्र Shree Lakshmi Mantra - आज के समय में बहुत से लोग आर्थिक तंगी से गुज़र रहे है, कोई ज्यादा खर्च से और कई अटके हुए पैसो से दुखी है ऐसे में माँ लक्ष्मी जी के मंत्र का जाप करना बहुत फायदेमंद होता है। शुक्रवार का दिन महालक्ष्मी को समर्पित है। शास्त्रों में मां लक्ष्मी को धन-धान्य, संपदा, वैभव की देवी माना जाता है। माना जाता है कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मां लक्ष्मी के इन मंत्रों का जाप करने से होगी धन की वर्षा और तंगी से मिलेगा छुटकारा
मां लक्ष्मी बीज मंत्र (Maa Lakshmi Beej Mantra)
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः।।
इस बीज मंत्र के जाप से धन रोकने वाले दोष दूर हो जाते हैं
मां लक्ष्मी ध्यान मंत्र (Maa Lakshmi Dhyaan Mantra)
ऊँ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
कर्ज मुक्ति के लिए मंत्र (Karj Mukti Mantra)
ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।।
धन लाभ के लिए मंत्र (Dhan Labh Ke Liye Mantra)
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥ या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी। सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
मूल मंत्र - कामना पूर्ती के लिए मंत्र (Kamana Purti Ke Liye Mantra)
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।
सफलता के लिए मंत्र (Safalta Ke Liye Mantra)
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:
इन मंत्रों में से किसी भी मंत्र का जाप 108 बार किया जाए तो और भी उत्तम माना जाता है।
मां लक्ष्मी मंत्र
1. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
2. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
3. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य
नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
4. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम
गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
5. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
7. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
9. आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।
10. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥