चारो धामों की आरती लिरिक्स |
चारो धामों की आरती लिरिक्स (Charo Dhamo Ki Aarti Lyrics) -
।। चार धाम की आरती ।।
जिसने चारो धाम कर लिए, मुक्ति मिल गई जीवन में
दया- धर्म- उपकार खिल उठे, उसके मन के आंगन में
तीर्थ की महिमा गाती है, भक्तो तुम्हे पुकारती
चार धाम की आरती।।
बद्रीनाथ नाथ बसे आंखो मे, रामेश्वर उसके मन में
जगन्नाथ द्वारकादिश के दर्शन होते कण कण मे
ज्योत जगाती है आशा की, मन को सदा संवारती
चार धाम की आरती।।
हिमगिरि की ऊंचाई जैसी, सागर की गहराई सी
प्रभु की महिमा सदा दिखाई देती रहती त्रिभुवन में
मन में हो विश्वास तो बैड़ा पार उतारती
चार धाम की आरती।।
चारो धाम हुए पावन भगवान तुम्हारे चरणों से
एक हो गया शीश झुकता है मस्तक अभिनंदन मे
तीर्थ की माटी दुनिया श्रद्धा से सिर पर उतारती
चार धाम की आरती।।
कोई नही पराया चारो धामों का संदेश यही
धर्म वही जो मन को जोड़े संतो का उपदेश यही
आशाओं के फूल खिलाती दीपक पथ पर वारती
चार धाम की आरती।।
जिसने चारो धाम कर लिए, मुक्ति मिल गई जीवन में
दया- धर्म- उपकार खिल उठे, उसके मन के आंगन में
तीर्थ की महिमा गाती है, भक्तो तुम्हे पुकारती
चार धाम की आरती।।
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