Aarti Shri Vrishbhanu Lali Ki |
राधा माता की आरती Radha Mata Aarti - Aarti Shri Vrishbhanu Lali Ki
॥ श्री राधा माता जी की आरती - 1 ॥
आरति श्रीवृषभानुलली की।
सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
भयभन्जिनि भव-सागर-तारिणि,
पाप-ताप-कलि-कल्मष-हारिणि,
दिव्यधाम गोलोक-विहारिणि,
जनपालिनि जगजननि भली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की।
सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
अखिल विश्व-आनन्द-विधायिनि,
मंगलमयी सुमंगलदायिनि,
नन्दनन्दन-पदप्रेम प्रदायिनि,
अमिय-राग-रस रंग-रली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की।
सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
नित्यानन्दमयी आह्लादिनि,
आनन्दघन-आनन्द-प्रसाधिनि,
रसमयि, रसमय-मन-उन्मादिनि,
सरस कमलिनी कृष्ण-अली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की।
सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
नित्य निकुन्जेश्वरि राजेश्वरि,
परम प्रेमरूपा परमेश्वरि,
गोपिगणाश्रयि गोपिजनेश्वरि,
विमल विचित्र भाव-अवली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की।
सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
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आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की...आरती श्री वृषभानु लली की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि ।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि ।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
संतत सेव्य सत मुनि जनकी, आकर अमित दिव्यगुन गनकी ।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी, अति अमूल्य सम्पति समता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि, चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि ।
जगजननि जग दुखनिवारिणि, आदि अनादिशक्ति विभुता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥