सरस्वती वंदना Saraswati Vandana |
सरस्वती वंदना मंत्र एक शक्तिशाली हिंदू मंत्र और पवित्र पाठ है, जो ज्ञान, बुद्धि, संगीत, कला, भाषण और शिक्षा की देवी सरस्वती को संबोधित है। ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति की शिक्षा और करियर में सफलता की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस मंत्र का उच्चारण सरस्वती पूजा, वसंत पंचमी, विद्यालयों और अन्य शैक्षिक या कलात्मक अवसरों के दौरान किया जाता है। यह विचार की स्पष्टता, प्रेरणा और ज्ञान की खोज में बाधाओं को दूर करने के लिए सरस्वती के आशीर्वाद का आह्वान करने का एक तरीका है।
॥ सरस्वती वंदना ॥
या कुन्देन्दु तुषार हारधवला, या शुभ्र वस्त्रावृता,
या वीणावर दण्ड मण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृतिभिर् देवै सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीम् अभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
हिन्दी भावार्थ:
जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर शङ्कर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही सम्पूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें।
शुक्लवर्ण वाली, सम्पूर्ण चराचर जगत् में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिन्तन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान् बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलङ्कृत, भगवती शारदा की मैं वंदना करता हूँ।