शाकम्भरी माता की आरती - जय देवि जय देवि (Shakambhari Mata Aarti - Jai Devi Jai Devi)

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शाकम्भरी माता की आरती - जय देवि जय देवि (Shakambhari Mata Aarti - Jai Devi Jai Devi)
शाकम्भरी माता की आरती - जय देवि जय देवि

शाकम्भरी माता की आरती - जय देवि जय देवि (Shakambhari Mata Aarti - Jai Devi Jai Devi)


हरि ॐ श्री शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो। 
ऐसी अद्भुत रूप हृदय धर लीजो, 
शताक्षी दयालु की आरती कीजो। 
तुम परिपूर्ण आदि भवानी मां, 
सब घट तुम आप बखानी मां ॥

॥ श्री शाकम्भरी माता जी की आरती ॥

जय देवि जय देवि जय जगदाधारे ।
शाकम्भरि विश्वेश्वरि जय तिलकागारे ॥ ध्रु०॥

वर्षाभावान्मातः शतवर्षम्भुवनम् ।
अन्नाभावाज्जातं कामदभिपन्नम् ।
चक्षुःशतकाद्वर्षं वर्षन्त्या भुवनम् ।
शताक्षिरक्षितमेतद्दत्वा पूर्णान्नम् ॥ १॥

निजतनुसम्भवशाकैरक्षितमितिभुवनम् ।
शाकम्भरीतिनाम प्राप्तं त्वघशमनम् ।
लोकत्रयपीडाकर दुर्गासुर हननात् ।
दुर्गेत्याख्या जाता शिवसुन्दरि मान्या ॥ २॥

त्वमेव माया प्रकृतिर्जननी त्वं शान्ता ।
त्वमेव बाला बगला दुर्गा त्वं ललिता ।
त्वमेव भीमा त्वमेव हिमवद्गिरिजाता ।
त्वमेव वाणी लक्ष्मीस्त्वं रघुसुतमाता ॥ ३॥

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