श्री गणेश वंदना |
श्री गणेश वंदना - गणेश वन्दना बहुत ही महत्वपूर्ण वंदना है, इसे कोई भी आरती करने के पूर्व में पढ़ा जाता है। इसके अलावा इसे गणेश पूजा, गणेश चतुर्थी और अन्य शुभ कार्यों में विशेष रूप से पढ़ा जाता है। ये वंदना भगवान गणेश जी को समर्पित है।
।। श्री गणेश वंदना - १ ।।
खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं ।
प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्ध मधुप व्यालोल गण्डस्थलंम् ।।
दंताघात विदारि तारि रूधिरैः सिन्दूरशोभाकरम् ।
वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ।।
हिन्दी अर्थ:
मैं सिद्धि प्रदान करनेवाले अभीष्टदायी पार्वतीनन्दन भगवान् श्रीगणेश की वन्दना करता हूँ, जो स्थूलकाय, नाटे, गजवदन एवं लम्बोदर होने पर भी अप्रतिम हैं, जिनकी कनपटियों से चूते हुए मद की मधुर गन्ध से आकृष्ट भौरों के कारण वे कनपटियाँ चंचल प्रतीत होती हैं तथा अपने दाँतों की चोट से विदीर्ण हुए शत्रुओं का रुधिर जिनके मुख पर सिन्दूर की शोभा धारण करता है।
ये भी पढ़े 👇 -
- श्री गणेश चालीसा
- आरती: जय गणेश जय गणेश देवा
- आरती: शेंदुर लाल चढ़ायो
- आरती: सुखकर्ता दुखहर्ता
- आरती: गजबदन विनायक की
- आरती: गणपति की सेवा मंगल मेवा
।। श्री गणेश वंदना - २ ।।
गाइए गणपति जगवंदन।
शंकर सुवन भवानी के नंदन।।
गाइए गणपति जगवंदन...
सिद्धी सदन गजवदन विनायक।
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक।।
गाइए गणपति जगवंदन...
मोदक प्रिय मृद मंगल दाता।
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता।।
गाइए गणपति जगवंदन...
मांगत तुलसीदास कर जोरे।
बसहिं रामसिय मानस मोरे।।
गाइए गणपति जगवंदन...
जो सुमिरन सिधि होए गन नायक करीबर बदन ।
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन ।।
ये भी पढ़ें -
।। श्री गणेश वंदना - ३ ।।
भव से नैया पार करो, जीत हमारी आज करो।
गणपति बलकारी जी, जीत हमारी आज करो।।
पार्वती हैं माता, शंकर पिता तुम्हारे ।
आप संग प्रभु दोनों आकर काज संवारें ।।
गणपति...
एकदंत दयावंत, तुम्हें सब कहते हैं।
चार भुजाधारी हो, हम यह सुनते हैं।।
गणपति...
सब देवों के गणपति सखा सनेही हो।
रिद्धि-सिद्धि के दाता, सकल विदेही हो ।।
गणपति...