श्रीगुरु - वंदना (Shri Guru Vandana) |
।। श्रीगुरु - वंदना ।।
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः र्गुरूर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
भावार्थ:-
गुरु वंदना एक सुंदर और सार्थक वाक्यांश है, जहाँ "गु" का अर्थ है अंधेरा या अज्ञानता और "रु" उस अंधेरे को दूर करने वाले को दर्शाता है, इसलिए, जो अंधेरा और अज्ञान को दूर करता है वह गुरु है।
र्ब्रह्मा – र्ब्रह्मा जी को इस सृष्टि का "निर्माता" कहा जाता है।
विष्णु – विष्णु को सृष्टि के "पालनहार" कहा जाता है।
महेश्वर – महादेव शिव को सृष्टि का "संहारक" कहा जाता है।
इस वंदना के माध्यम से कहा गया है कि -
गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही महेश्वर है और गुरु ही साक्षात परब्रह्म (परमात्मा) है । इसलिए मैं ऐसे महान गुरु को प्रणाम करता हूं।
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