सर्वधर्म प्रार्थना - तू ही राम है, तू रहीम है |
तू ही राम है, तू रहीम है:- यह एक सर्वधर्म प्रार्थना है, जिसकी रचना कबीर दास जी ने की है। ये कविता बताती है कि परमात्मा एक ही है जिसके नाम अलग अलग धर्मो में अलग अलग है। यह प्रार्थना विद्यालयों में सुबह के समय में गाई जाती है। यह प्रार्थना विद्यार्थियों को सभी धर्म का सम्मान करना सिखाती है, जिससे उनके बीचमे धर्म के प्रति कोई भेद भाव पैदा नहीं होता।
॥ सर्वधर्म प्रार्थना ॥
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
तेरी ज़ात-ए-पाक क़ुरान में,
तेरा दर्श वेद पुराण में,
गुरु ग्रंथ जी के बखान में,
तू प्रकाश अपना दिखा रहा।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
अरदास है, कहीं कीर्तन,
कहीं राम धुन, कहीं आवाहन,
विधि भेद का है ये सब रचन,
तेरा भक्त तुझको बुला रहा।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
विधि वेश जात के भेद से
हमें मुक्त कर दो परम पिता ,
तुझे देख पाएं सभी में हम
तुझे देख पाएं सभी जगह॥
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
तेरे गुण नहीं हम गा सके
तुझे कैसे मन में ला सकें,
है दुआ यही तुझे पा सकें
तेरे दर पे सर हो झुका हुआ॥
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
- कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित