ऋणमोचक मंगल स्तोत्र Rin Mochan Mangal Stotra

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ऋणमोचक मंगल स्तोत्र Rin Mochan Mangal Stotra
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र

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ऋणमोचक मंगल स्तोत्र मंगल देव को समर्पित है और मंगल देव का संबंध भगवान श्री हनुमान जी से है और हनुमान जी को सभी तरह के कष्टों, परेशानियों, रोगों और जीवन में आ रही किसी भी तरह की बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। यह स्तोत्र कर्ज व आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए बेहद कल्याणकारी माना गया है। अगर कोई साधक आर्थिक समस्याओं से परेशान है, कर्ज में डूबा हो और इन सब से छुटकारा पाना चाहते हैं तो उन्हें इस शक्तिशाली स्तोत्र का पाठ रोजाना या फिर प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से हनुमान जी की कृपा हमेशा उस पर बनी रहती है, और उसके जीवन से सभी परेशानियां दूर होती है।

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के पाठ करने की विधि

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ की शुरुआत मंगलवार के दिन ही करना शुभ माना गया है। प्रातः काल सुबह में जल्दी उठकर नित्य क्रियाओं से पुर्ण होकर, स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्रों को धारण करना चाहिए। इसके बाद घर के पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें। हनुमान जी ध्यान करते हुए ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ शुरू करें।

।। श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र ।।

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥१॥

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥२॥

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥३॥

एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥४॥

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥५॥

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥६॥

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥७॥

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥८॥

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्॥९॥

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥१०॥

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥११॥

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥१२॥

॥ इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र से लाभ:

  • मंगल दोष का निवारण होता है।
  • कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  • धन संपति प्राप्त होती है।
  • रोग व्याधि खत्म होती है।
  • परम स्वास्थ प्राप्त होता है।
  • जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  • जीवन में खुशियों का संचार होता है।
  • कार्यों में सफलता मिलती है।

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र कितनी बार पढ़ना चाहिए?

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करने की शुरुवात मंगलवार के दिन से करे और ये पाठ 1 बार पढ़ना ही पर्याप्त है। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार या रोजाना ये पाठ कर सकते है। ये लगातार 11 या 21 दिन तक करना शुभ माना गया है।

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र २१ नाम

(मंगल देव के 21 नाम)
  1. ॐ मंगलाय नमः
  2. ॐ भूमि पुत्राय नमः
  3. ॐ ऋण हर्त्रे नमः
  4. ॐ धन प्रदाय नमः
  5. ॐ स्थिर आसनाय नमः
  6. ॐ महा कायाय नमः
  7. ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः
  8. ॐ लोहिताय नमः
  9. ॐ लोहिताक्षाय नमः
  10. ॐ साम गानाम कृपा करे नमः
  11. ॐ धरात्मजाय नमः
  12. ॐ भुजाय नमः
  13. ॐ भौमाय नमः
  14. ॐ भुमिजाय नमः
  15. ॐ भूमि नन्दनाय नमः
  16. ॐ अंगारकाय नमः
  17. ॐ यमाय नमः
  18. ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः
  19. ॐ वृष्टि कर्ते नमः
  20. ॐ वृष्टि हराते नमः
  21. ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः

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