सांसों की माला पे सिमरूं मैं लिरिक्स |
सांसों की माला पे सिमरूं मैं लिरिक्स Sanso Ki Mala Pe Simru Main Pee Ka Naam
।। कृष्ण भजन ।।
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम,
अपने मन की मैं जानूँ, और पी के मन की राम ।।
वो चातर है कामिनी वो है सुन्दर नार
जिस पगली ने कर लिया साजन का मन राम
नील गगन से भी परे सैंयाजी का गांव
दर्शन जल की कामना पथ रखियो हे राम
अब किस्मत के हाथ है इस बंधन की लाज
मैंने तो मन लिख दिया साँवरिया के नाम
जब से राधा श्याम के नैन हुए हैं चार
श्याम बने हैं राधिका राधा बन गयी श्याम
हाथ छुड़ावत जात हो निर्बल जानके मोहे
हिरदय में से जाओ तब मैं जानु तोहे
काजल डालूँ हो जाए किरकिरी ना रहे बह जाए
जिन नैनन में पि बसे वहाँ दूजा कौन समाए
सांसो की माला पे सिमरूं मैं पि का नाम
प्रेम के पथ पे चलते चलते हो गयी मैं बदनाम
सांसो की माला पे सिमरूं मैं पि का नाम
अपने मन की मैं जानु और पि के मन की राम
ये ही मेरी बंदगी है ये ही मेरी पूजा
सांसो की माला पे सिमरूं मैं पि का नाम
आ पिया इन नैनन में जो पलक ढांप तोहे लूँ
ना मैं देखूँ गैर को ना तोहे देखन दूँ ।।
ढांप लिया पलकों में तुझको बंद कर लिए नैन
तू मुझको मैं तुझको देखूं, गैरों का क्या काम ।।
दीन धरम सब छोड़ के मैं तो पि की धुन में खोयी
जित जाऊं गुण पि के गाऊं नाहि दूजा काम ।।
प्रीतम तुमरे ही सब है अब अपना राज सुहाग
तुम नाही तो कछु नाही तुम मिले जागे भाग ।।
जीवन का श्रृंगार है प्रीतम, माँग का सिन्दूर,
माँग का सिन्दूर,
जीवन का श्रृंगार है प्रीतम, माँग का सिन्दूर,
प्रीतम की नज़रों से गिरकर, जीना है किस काम,
साँसों की, साँसों की,
साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥
प्रेम के रंग में ऐसी डूबी, बन गया एक ही रूप,
बन गया एक ही रूप,
प्रेम के रंग में ऐसी डूबी, बन गया एक ही रूप,
प्रेम की माला जपते जपते, आप बनी मैं श्याम,
साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥
प्रीतम का कुछ दोष नहीं है वो तो है निर्दोष,
वो तो है निर्दोष,
अपने आप से बातें कर के, हो गयी मैं बदनाम,
साँसों की, साँसों की,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम,
साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥
प्रेम पियाला जब से पिया है, जी का है ये हाल,
जी का है ये हाल,
प्रेम पियाला जब से पिया है, जी का है ये हाल,
अंगारों पे नींद आ जाए, काँटों पे आराम,
साँसों की, साँसों की,
साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥
अपने मन की मैं जानूँ, और पी के मन की राम,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम,
अपने मन की मैं जानूँ और पी के मन की राम,
साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम,
साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥