गुरु ने जहां जहां भी ज्योति जलाई है (Guru Ne Jahan Jahan Bhi Jyoti Jalai Hai Lyrics)

M Prajapat
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गुरु ने जहां जहां भी ज्योति जलाई है (Guru Ne Jahan Jahan Bhi Jyoti Jalai Hai Lyrics)
गुरु ने जहां जहां भी ज्योति जलाई है

गुरु ने जहां जहां भी ज्योति जलाई है लिरिक्स -

।। जैन भजन ।।

गुरु ने जहाँ-जहाँ भी ज्योति जलाई है।
काले-काले बादलों पर रोशनी सी छाई है।
विद्यासागर गुरुदेव... विद्यासागर गुरुदेव...

तन मन में वैराग्य जिनके समाया है।
शाश्वत सुख पाने को छोड़ी जग माया है।
निर्मोही गुरुवर पे जनता रिसाई है।
गुरु के सिवा हर चीज पराई है।
विद्यासागर गुरुदेव... विद्यासागर गुरुदेव...

अखियों को खोल जरा ज्ञान के उजाले में
रख विश्वास पूरा जग रखवाले में ।
कितनी ही बार मैंने खुद को समझाई है।
गुरु के सिवा हर चीज पराई है।
विद्यासागर गुरुदेव... विद्यासागर गुरुदेव...

मुक्तियों के बंधनों को बाँध पक्की डोर से
आंधियाँ चलेंगी इन सब पर बड़ी जोर से
क्योंकि इस रास्ते पर बड़ी कठिनाई है।
गुरु के सिवा हर चीज पराई है।
विद्यासागर गुरुदेव... विद्यासागर गुरुदेव...

एक बार सोच ले तू जीवन के अंधियारें में
गुरु ही सहारा है इस जीवन के चौराहे में।
कितनी ही बार मैंने है ठोकरे तो खाई है।
गुरु के सिवा हर चीज पराई है।
विद्यासागर गुरुदेव... विद्यासागर गुरुदेव...

गुरु ने जहाँ-जहाँ ज्योति जलाई है | Jain Bhajan | by Anshul jain ansh

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