जहाँ नेमी के चरण पड़े गिरनार वो धरती है लिरिक्स |
जहाँ नेमी के चरण पड़े गिरनार की धरती है लिरिक्स -
।। जैन भजन ।।
फिल्मी तर्ज - ऐ मेरे दिले नादान, तू गम से ना घबराना (फिल्म: टावर हाउस - 1962)
जहाँ नेमी के चरण पड़े, गिरनार की धरती है
वो प्रेम मूर्ती राजूल, उस पथ पर चलती है
उस कोमल काया पर, हल्दी का रंग चदा
मेहंदी भी रुचीर रची, गले मंगल सुत्र पड़ा
पर मांग ना भर पायी, ये बात ही खलती है ॥
जहाँ नेमी के चरण पड़े... ॥
सुन पशुओं का क्रुन्दन, तुमने तोड़े बंधन
जागा वैराग्य तभी, पा ली प्रभु पथ पावन
उस परम वैरागी से, चिर प्रीत उमड़ती है ॥
जहाँ नेमी के चरण पड़े... ॥
राजूल की आंखों से, झर झर झरता पानी
अन्तर में घाव भरे, प्रभु दर्श की दीवानी
मन मन्दिर में जिसकी, तस्वीर उभरती है ॥
जहाँ नेमी के चरण पड़े... ॥
नेमी जिस और गये, वही मेरा ठिकाना है
जीवन की यात्रा का, वो पथ अनजाना है
लख चरण चंद्र प्रभु के, राजूल कब रूकती है ॥
जहाँ नेमी के चरण पड़े... ॥