ऐसा कहते हैं सब लोग की जादू भरी पद रज है तुम्हारी लिरिक्स Aisa Kehte Hain Sab Log Ki Jadu Bhari Pad Raj Hai Tumhari Lyrics

M Prajapat
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ऐसा कहते हैं सब लोग की जादू भरी पद रज है तुम्हारी लिरिक्स Aisa Kehte Hain Sab Log Ki Jadu Bhari Pad Raj Hai Tumhari Lyrics
ऐसा कहते हैं सब लोग की जादू भरी पद रज है तुम्हारी लिरिक्स

ऐसा कहते हैं सब लोग की जादू भरी पद रज है तुम्हारी लिरिक्स -

आज्ञा पायी निसाधह ने केवट लियो बुलाये,
पर केवट ने राम को दी यह मांग सुनाये।
पहले चरण पखारूंगा उनकी रज को झाड़ूंगा। 
पान करूँगा चरणा अमृत नाव पे तब बैठारूंगा। 

ऐसा कहते है सब लोग कि जादू भरी पग रज है तुम्हारी
इस पग रज का स्पर्श हुआ तो मौन शिला बनी सुन्दर नारी

मेरे पास है बस एक नैया-२, सारे कुटुंब की पालनहारी
नाव बनी यदि नार तो आएगा मुझ निर्धन पे संकट भारी

एक नारी का कठिन है पालन, कैसे पालूंगा दो दो नारी
केवट प्रभु के पाँव पखारन हेतु कटौती में जल भर लाया
पाँव पखार पिया चरणा अमृत फिर प्रभु को नौका में बिठाया। 

गंगा पार् पहुँच कर जब -२ , उतराई देने का अवसर आया
देने लगी वैदेही अंगूठी, तो ना में सर केवट ने हिलाया-२

सुनो मेरी विनती राम सरकार, राम सरकार सिया सरकार 
नाइ, धोबी, धीमर, केवट और लुहार सुनार
अरे एक दूजे से लें न मजदूरी, जिनका एक व्यापार
नैन दिया का केवट तुम भाव सागर तारणहार 

राम प्रभु मेरी मजदूरी तुम पर रही उधार
आऊं में जब घाट तुम्हारे-२,
कर दीजो बेडा मेरा पार

सुनो मेरी विनती राम सरकार, राम सरकार सिया सरकार 
केवट ने जो मांगी उतराई, मन ही मन पर्ण किया रघुराई 
उतराई अवश्य चुकानी है, ये रामायण श्री राम की अमर कहानी है। 

ये रामायण श्री राम की अमर कहानी है। 

केवट को वचन देकर मुस्कुराते हुए विदा लेकर सिया सहित वनवास को मार्ग पर चल दिए युगल किशोर। 

हो लिया संग निशाद भी बढ़ा नेह की डोर। 
सानुज सिया सहित रघुनन्दन, गंगा जी का करके वंदन 
भरद्वाज के आश्रम आये, मुनि को विनय प्रणाम जनाए 

ऋषि ने प्रभु को हृदय लगाया, अकथनीय परमानन्द पाया 
कुशल पूछ आसान बैठारे, पद पूजत मुनि भये सकारे 

कंद-मूल फल परस कर, अति प्रश्न ऋषि राज़
ध्यान ज्ञान जप जोग तप, सफल भये सब आज 

कर मुनि से सत्संग प्रभु, कियत रहें प्रवाश
कंगला अवस्था में हुआ आध्यात्मिक आभास

प्रात: नहाये पुण्य त्रिवेणी, सरिता मुद मंगल देनी
राम प्रयाग महात्म बखाना, सिद्धेश्वर यह सरस सुहाना
नाम प्रयाग यग हुए अगणित, कण कण मंत्रो से अनुगुंजित

दिघेश्वर की महिमा गाकर, आश्रम में मुनि आये रघुवर
सुभाशीष मुनिराज से मांग रहे जगदीश, 
पूछ रहे वनवास को जाये कहाँ मुनीश
मुनि बोले तुमने जगत बसा, तुम विद्यमान सर्वत सदा     

तुमको क्या रह सुझानी है 

ये रामायण श्री राम की अमर कहानी है। 
ये रामायण श्री राम की अमर कहानी है। 

Aisa kehte hain sab log ki jadu bhari padraj hai tumhari


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