लक्ष्मी नारायण स्तोत्र |
लक्ष्मी नारायण भगवान विष्णु की नारायण के रूप में और देवी लक्ष्मी स्वयं लक्ष्मी की अभिव्यक्ति हैं। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। भगवान विष्णु को नारायण के रूप में जाना जाता है जब वह अपनी पत्नी लक्ष्मी के साथ आराम कर रहे होते हैं। यह मंत्र भौतिक संपदा और प्रचुरता का आह्वान करने में मदद करता है। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु (नारायण) की पत्नी हैं, और दोनों अपने भक्तों को धन और समृद्धि प्रदान कर सकती हैं।
लक्ष्मी नारायण स्तोत्र (Lakshmi Narayan Stotra)
।। लक्ष्मीनारायणस्तोत्रम् ।।
श्रीनिवास जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल।
लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।१।।
राधारमण गोविंद भक्तकामप्रपूरक।
नारायण नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।२।।
दामोदर महोदार सर्वापत्तिनिवारण।
हृषीकेश नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।३।।
गरुडध्वज वैकुंठनिवासिन्केशवाच्युत।
जनार्दन नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।४।।
शंखचक्रगदापद्मधर श्रीवत्सलांछन।
मेघश्याम नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।५।।
त्वं माता त्वं पिता बंधुः सद्गुरुस्त्वं दयानिधिः।
त्वत्तोs न्यो न परो देवस्त्राही मां भवसागरात् ॥६॥
न जाने दानधर्मादि योगं यागं तपो जपम्।
त्वं केवलं कुरु दयां त्राहि मां भवसागरात्।।७।।
न मत्समो यद्यपि पापकर्ता न त्वत्समोsथापि हि पापहर्ता ।
विज्ञापितं त्वेतदशेषसाक्षिन् मामुद्धरार्तं पतितं तवाग्रे।।८।।
।। इति श्री. प. प. श्रीवासुदेवानन्दसरस्वतीविरचितं श्रीलक्ष्मीनारायणस्तोत्रम् संपूर्णम् ।।