मां कामाख्या चालीसा: कामाख्या का विमल यश |
मां कामाख्या चालीसा: कामाख्या का विमल यश (Maa Kamakhya Chalisa: Kamakhya Ka Vimal Yash)
।। दोहा ।।
कामाख्या का विमल यश
महिमा का गुण गावे।
पाठ करे नीत हृदय से
मां करती कल्याण।।
अर्थ धर्म और काम का
मां है मोक्ष का द्वार।
चारो फल की दायनी
महिमा बड़ी अपार।।
।। चौपाई ।।
जय हो नीलाचंल गिरवर वासिनी
मईया कामख्या दुःख नाशिनी।
शक्ति पीठ है मां की वैधी
कलयुग में है जाग्रत देवी।।
सती अंग जो काट के आया
योनि महा मुद्रा कहलाया।
महा मुद्रा है रूप तुम्हारा
फूलों से अच्छादित तारा।।
ब्रह्म पुत्र कि पावन धारा
नीत करती अभिषेक तुम्हारा।
अद्भुत रूप अनोखी माया
क्या समझे ये मानव काया।।
मास आषाढ़ चतुर्थ चरण में
चमत्कार होता आंगन में।
भाद्र नक्षत्र प्रथम पद धरता
रक्त महा मुद्रा से बहता।।
अंबुबाची ये पर्व है प्यारा
उमड़े जन समुह जग सारा।
अंबुबाची पर्व है ऐसे
लोग करे नवरात्रे जैसे।।