श्री मनसा देवी चालीसा (Mansa Devi Chalisa Lyrics)

M Prajapat
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श्री मनसा देवी चालीसा (Mansa Devi Chalisa Lyrics)
श्री मनसा देवी चालीसा

श्री मनसा देवी चालीसा (Mansa Devi Chalisa Lyrics)

दोहा
मनसा माँ नागेश्वरी, कष्ट हरन सुखधाम ।
चिंताग्रस्त हर जीव के, सिद्ध करो सब काम ॥
देवी घट-घट वासिनी, ह्रदय तेरा विशाल ।
निष्ठावान हर भक्त पर, रहियो सदा तैयार ॥

चौपाई
पदमावती भयमोचिनी अम्बा ।
सुख संजीवनी माँ जगदंबा ॥१॥

मनशा पूरक अमर अनंता ।
तुमको हर चिंतक की चिंता ॥२॥

कामधेनु सम कला तुम्हारी ।
तुम्ही हो शरणागत रखवाली ॥३॥

निज छाया में जिनको लेती ।
उनको रोगमुक्त कर देती ॥४॥

धनवैभव सुखशांति देना ।
व्यवसाय में उन्नति देना ॥५॥
तुम नागों की स्वामिनी माता ।
सारा जग तेरी महिमा गाता ॥६॥
महासिद्धा जगपाल भवानी ।
कष्ट निवारक माँ कल्याणी ॥७॥
याचना यही सांझ सवेरे ।
सुख संपदा मोह ना फेरे ॥८॥

परमानंद वरदायनी मैया ।
सिद्धि ज्योत सुखदायिनी मैया ॥९॥
दिव्य अनंत रत्नों की मालिक ।
आवागमन की महासंचालक ॥१०॥
भाग्य रवि कर उदय हमारा ।
आस्तिक माता अपरंपारा ॥११॥
विद्यमान हो कण कण भीतर ।
बस जा साधक के मन भीतर ॥१२॥

पापभक्षिणी शक्तिशाला ।
हरियो दुख का तिमिर ये काला ॥१३॥
पथ के सब अवरोध हटाना ।
कर्म के योगी हमें बनाना ॥१४॥
आत्मिक शांति दीजो मैया ।
ग्रह का भय हर लीजो मैया ॥१५॥
दिव्य ज्ञान से युक्त भवानी ।
करो संकट से मुक्त भवानी ॥१६॥

विषहरी कन्या, कश्यप बाला ।
अर्चन चिंतन की दो माला ॥१७॥
कृपा भगीरथ का जल दे दो ।
दुर्बल काया को बल दे दो ॥१८॥
अमृत कुंभ है पास तुम्हारे ।
सकल देवता दास तुम्हारे ॥१९॥
अमर तुम्हारी दिव्य कलाएँ ।
वांछित फल दे कल्प लताएँ ॥२०॥

परम श्रेष्ठ अनुकंपा वाली ।
शरणागत की कर रखवाली ॥२१॥
भूत पिशाचर टोना टंट ।
दूर रहे माँ कलह भयंकर ॥२२॥
सच के पथ से हम ना भटके ।
धर्म की दृष्टि में ना खटके ॥२३॥
क्षमा देवी, तुम दया की ज्योति ।
शुभ कर मन की हमें तुम होती ॥२४॥

जो भीगे तेरे भक्ति रस में ।
नवग्रह हो जाए उनके वश में ॥२५॥
करुणा तेरी जब हो महारानी ।
अनपढ बनते है महाज्ञानी ॥२६॥
सुख जिन्हें हो तुमने बांटें ।
दुख की दीमक उन्हे ना छांटें ॥२७॥
कल्पवृक्ष तेरी शक्ति वाला ।
वैभव हमको दे निराला ॥२८॥

दीनदयाला नागेश्वरी माता ।
जो तुम कहती लिखे विधाता ॥२९॥
देखते हम जो आशा निराशा ।
माया तुम्हारी का है तमाशा ॥३०॥
आपद विपद हरो हर जन की ।
तुम्हें खबर हर एक के मन की ॥३१॥
डाल के हम पर ममता आँचल ।
शांत कर दो समय की हलचल ॥३२॥

मनसा माँ जग सृजनहारी ।
सदा सहायक रहो हमारी ॥३३॥

कष्ट क्लेश ना हमें सतावे ।
विकट बला ना कोई भी आवे ॥३४॥

कृपा सुधा की वृष्टि करना ।
हर चिंतक की चिंता हरना ॥३५॥

पूरी करो हर मन की मंशा ।
हमें बना दो ज्ञान की हंसा ॥३६॥

पारसमणियाँ चरण तुम्हारे ।
उज्वल करदे भाग्य हमारे ॥३७॥

त्रिभुवन पूजित मनसा माई ।
तेरा सुमिरन हो फलदाई ॥३८॥

दोहा
इस गृह अनुग्रह रस बरसा दे,
हर जीवन निर्दोष बना दे ।
भूलेंगें उपकार ना तेरे,
पूजेंगे माँ सांझ सवेरे ॥

सिद्ध मनसा सिद्धेश्वरी, सिद्ध मनोरथ कर ।
भक्तवत्सला दो हमें सुख संतोष का वर,
सुख संतोष का वर ॥

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