श्री चन्द्रशेखरा अष्टकम् (Shri Chandrashekhara Ashtakam)

M Prajapat
0
श्री चन्द्रशेखरा अष्टकम् (Shri Chandrashekhara Ashtakam)
श्री चन्द्रशेखरा अष्टकम्

श्री चन्द्रशेखरा अष्टकम् (Shri Chandrashekhara Ashtakam)

चन्द्रशेखराष्टकम् ॥

रत्नसानुशरासनं रजताद्रि श‍ृङ्गनिकेतनं
    शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम् । 
क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदशालयैरभिवन्दितं 
    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ १॥

कैलाश के शिखर पर जिनका निवास है, जिन्होंने मेरुगिरि का धनुष, नागराज वासुकि की प्रत्यंचा और भगवान विष्णु को अग्निमय बाण बनाकर तत्काल ही दैत्यों के तीनों पुरों को दग्ध कर डाला था, संपूर्ण देवता जिनके चरणों की वंदना करते हैं, उन भगवान चंद्रशेखर की मैं शरण लेता हूँ, यमराज मेरा क्या करेंगे?

पञ्चपादपपुष्पगन्धिपदाम्बुजद्वयशोभितं
    भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्रहम् ।
भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशिनं भवमव्ययं
    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ २॥

मंदार, पारिजात, संतान, कल्पवृक्ष और हरिचंदन-इन पांच दिव्य वृक्षों के पुष्पों से सुगन्धित युगल चरणकमल जिनकी शोभा बढ़ाते हैं, जिन्होंने अपने ललाटवर्ती नेत्र से प्रकट हुई आग की ज्वाला में कामदेव के शरीर को भस्म कर डाला था, जिनका श्री विग्रह सदा भस्म से बिभूषित रहता है, जो भव-सबकी उत्पत्ति के कारण होते हुए भी भव-संसार के नाशक हैं तथा जिनका कभी विनाश नहीं होता, उन भगवान चंद्रशेखर की मैं शरण लेता हूँ, यमराज मेरा क्या करेंगे?

मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनोहरं
    पङ्कजासनपद्मलोचनपूजिताङ्घ्रिसरोरुहम् ।
देवसिद्धतरंगिणीकरसिक्तशीतजटाधरं 
    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ३॥

जो मतवाले गजराज के मुख्य चर्म की चादर ओढ़े परम मनोहर जान पड़ते हैं, ब्रह्मा और विष्णु भी जिनके चरण कमलों की पूजा करते हैं तथा जो देवताओं और सिद्धों की नदी गंगा की तरंगों से भीगी हुई शीतल जटा धारण करते हैं, उन भगवान चंद्रशेखर की मैं शरण लेता हूँ, यमराज मेरा क्या करेंगे?

कुण्डलीकृतकुण्डलीश्वरकुण्डलं वृषवाहनं 
    नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् ।
अन्धकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं
    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ४॥

गेडुल मारे हुए सर्पराज जिनके कानों में कुण्डल का काम देते हैं, जो वृषभ पर सवारी करते हैं, नारद आदि मुनीश्वर जिनके वैभव की स्तुति करते हैं, जो समस्त भुवनों के स्वामी, अन्धकासुर का नाश करने वाले, आश्रितजनों के लिए कल्पवृक्ष के समान और
यमराज को भी शान्त करने वाले हैं, उन भगवान चंद्रशेखर की मैं शरण लेता हूँ, यमराज मेरा क्या करेंगे?

यक्षराजसखं भगाक्षिहरं भुजङ्गविभूषणं
    शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम् ।
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं 
    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ५॥

जो यक्षराज कुबेर के सखा, भग देवता की आंख फोड़ने वाले और सर्पों के आभूषण धारण करने वाले हैं जिनके श्रीविग्रह के सुन्दर वाम भागको गिरिराजकिशोरी उमा ने सुशोभित कर रखा है, कालकूट विष पीने के कारण जिनका कण्ठभाग नीले रंग का दिखाई देता है, जो एक हाथ में फरसा और दूसरे में मृग लिए रहते हैं, उन भगवान चंद्रशेखर की मैं शरण लेता हूँ, यमराज मेरा क्या करेंगे?

भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं
    दक्षयज्ञविनाशिनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् ।
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं निखिलाघसङ्घनिबर्हणं
    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ६॥

जो जन्म-मरण के रोग से ग्रस्त पुरुषों के लिए औषध रूप हैं, समस्त आपत्तियों का निवारण और दक्ष यज्ञ का विनाश करने वाले हैं, सत्त्व आदि तीनों गुण जिनके स्वरूप हैं, जो तीन नेत्र धारण करते, भोग और मोक्षरूपी फल देते तथा संपूर्ण पाप राशि का संहार करते हैं, उन भगवान चंद्रशेखर की मैं शरण लेता हूँ, यमराज मेरा क्या करेंगे?

भक्तवत्सलमर्चतां निधिमक्षयं हरिदम्बरं
    सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनूपमम् । 
भूमिवारिनभोहुताशनसोमपालितस्वाकृतिं
    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ७॥

जो भक्तों पर दया करने वाले हैं, अपनी पूजा करने वाले मनुष्यों के लिए अक्षय निधि होते हुए भी जो स्वयं दिगम्बर रहते हैं, जो सब भूतों (प्राणियों) के स्वामी, परात्पर, अप्रमेय और उपमारहित हैं, पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि और चन्द्रमा के द्वारा जिनका श्रीविग्रह सुरक्षित है, उन भगवान चंद्रशेखर की मैं शरण लेता हूँ, यमराज मेरा क्या करेंगे?

विश्वसृष्टिविधायिनंपुनरेवपालनतत्परं
    संहरन्तमथ प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम् । 
क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमावृतं 
    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ८॥

जो ब्रह्मारूप से सम्पूर्ण विश्व की सृष्टि करते, फिर विष्णु रूप से सबके पालन में संलग्न रहते और अन्त में सारे प्रपंच का संहार करते हैं। सम्पूर्ण लोकों में जिनका निवास है तथा जो गणेशजी के पार्षदों से घिरकर दिन-रात भांति-भांति के खेल किया करते हैं, उन भगवान चंद्रशेखर की मैं शरण लेता हूँ, यमराज मेरा क्या करेंगे?

मृत्युभीत मृकण्डुसूनुकृतस्तवं शिवसन्निधौ
    यत्र कुत्र च यः पठेन्न हि तस्य मृत्युभयं भवेत् ।
पूर्णमायुररोगतामखिलार्थसम्पदमादरं
    चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्तिमयत्नतः ॥ ९ ॥

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहि माम् ।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष माम् ॥

Shri Chandrashekhara Ashtakam | Mrityunjay Stotram | Shiv Stotram | Ratanasanushaasanam

Singer: Amrita Chaturvedi Upadhyay
Lyrics: Traditional
Music: Rohit Kumar (Bobby)
Flute: Pt. Ajay Shankar Prasanna
Sitar: Pt. Sunil Kant

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!