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शिव कामा सुंदरी अष्टकम |
शिव कामा सुंदरी अष्टकम एक भगवान शिव और माता पार्वती जी की स्तुति मंत्र है। मान्यता के अनुसार शिव कामा सुंदरी अष्टकम की रचना ऋषि व्यास ने की थी। इस शिव कामा सुंदरी अष्टकम को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कि - शिव कामाक्षी अष्टकम और सुंदर कंदम । शिव कामा सुंदरी अष्टकम में देवो के देव भगवान शिव और माता पार्वती के अदभुत ओर दिव्य गुणों का वर्णन किया गया है। जीवन में प्यार, सकारात्मक ऊर्जा और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इसे जरूर पढ़ना चाहिए।
शिव कामा सुंदरी अष्टकम (Shiv Kama Sundari Ashtakam)
पुण्डरीक पुरा मध्य वसिनिं, नृथ राज सह ध्गर्मिनिं ।
अध्रि राज थानयां, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥१॥
ब्रह्म विष्णु धाम देव पूजिथं, बहु स्रीपद्म सुक वथस शोबिथं ।
बहुलेय कलपन नथ्मजं, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥२॥
वेद शीर्ष विनुथ आत्मा वैभवं, वन्चिथर्थ फल धन ततःपरं ।
व्यास सूनु मुखथपर्चिथं, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥३॥
शोदसर्न पर देवथं उमां, पञ्च बन अनिस योथ्भव वेशनां ।
परिजथ थारु मूल मण्डपं, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥४॥
विस्वयोनिम् अमलं अनुथामं, वग विलास फलधं विचक्षणं ।
वारि वह सधृस लम्बरं, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥५॥
नन्दिकेस विनुथ अथम वैभवं, श्र्व नममन्थु जपक्रुतः सुख प्रदं ।
नास हीन पथथं, नदेस्वरिम्, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥६॥
सोमे सूर्य हुथ बुक्थाभिर लोचनं, सर्व मोहन करीं सुधीदिनां ।
थ्री वर्ग परमाथम सोउख्य्थां, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥७॥
पुण्डरीक चरण ऋषिणा कर्थं स्तोत्रं, येथातः अन्वहम् पदन्थि ये ।
पुण्डरीक पुरा नयिकं अम्बिकं, य दृष्टिं अकिलं महेस्वरि ॥८॥
Shiv Kama Sundari Ashtakam attracts divine blessings for prosperity, love & harmonious relationships
