दस महाविद्या स्तोत्र (Das Mahavidya Stotra) |
दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ ज्यादातर गुप्त नवरात्रि में तन्त्र साधना में किया जाता है, जिससे साधक की सभी मनोकामनाएं मां पार्वती के कृपा से पूर्ण होती हैं, और उसे मोक्ष प्राप्त होता है। इसके साथ ही माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए श्री दशमहाविद्या कवच का भी पाठ किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों के अलावा इसका पाठ आप चतुर्दशी, अमावस्या, मंगलवार, गुरूवार, शुक्रवार और शनिवार को भी कर सकते हैं। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सफलता, स्वास्थ्य, धन, संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति हेतु भी दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ किया जाता है। यदि आपको इसे पढ़ने में दिक्कत हो रही हो तो आप इस स्तोत्र को सुनकर भी लाभ प्राप्त कर सकते है, चाहे तो आप इसे रोज सुन सकते है। इसके लिए नीचे इस पूरे स्तोत्र वीडियो दिया गया है उसे सुने और मातारानी का आशिर्वाद प्राप्त करे।
दस महाविद्या स्तोत्र (Das Mahavidya Stotram)
नमस्ते चण्डिके । चण्डि । चण्ड-मुण्ड-विनाशिनि ।
नमस्ते कालिके । काल-महा-भय-विनाशिनी ।।१।।
शिवे । रक्ष जगद्धात्रि । प्रसीद हरि-वल्लभे ।
प्रणमामि जगद्धात्रीं, जगत्-पालन-कारिणीम् ।।२।।
जगत्-क्षोभ-करीं विद्यां, जगत्-सृष्टि-विधायिनीम् ।
करालां विकटा घोरां, मुण्ड-माला-विभूषिताम् ।।३।।
हरार्चितां हराराध्यां, नमामि हर-वल्लभाम् ।
गौरीं गुरु-प्रियां गौर-वर्णालंकार-भूषिताम् ।।४।।
हरि-प्रियां महा-मायां, नमामि ब्रह्म-पूजिताम् ।
सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्ध-विद्या-धर-गणैर्युताम् ।।५।।
मन्त्र-सिद्धि-प्रदां योनि-सिद्धिदां लिंग-शोभिताम् ।
प्रणमामि महा-मायां, दुर्गा दुर्गति-नाशिनीम् ।।६।।
उग्रामुग्रमयीमुग्र-तारामुग्र – गणैर्युताम् ।
नीलां नील-घन-श्यामां, नमामि नील-सुन्दरीम् ।।७।।
श्यामांगीं श्याम-घटिकां, श्याम-वर्ण-विभूषिताम् ।
प्रणामामि जगद्धात्रीं, गौरीं सर्वार्थ-साधिनीम् ।।८।।
विश्वेश्वरीं महा-घोरां, विकटां घोर-नादिनीम् ।
आद्यामाद्य-गुरोराद्यामाद्यानाथ-प्रपूजिताम् ।।९।।
श्रीदुर्गां धनदामन्न-पूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम् ।
प्रणमामि जगद्धात्रीं, चन्द्र-शेखर-वल्लभाम् ।।१०।।
त्रिपुरा-सुन्दरीं बालामबला-गण-भूषिताम् ।
शिवदूतीं शिवाराध्यां, शिव-ध्येयां सनातनीम् ।।११।।
सुन्दरीं तारिणीं सर्व-शिवा-गण-विभूषिताम् ।
नारायणीं विष्णु-पूज्यां, ब्रह्म-विष्णु-हर-प्रियाम् ।।१२।।
सर्व-सिद्धि-प्रदां नित्यामनित्य-गण-वर्जिताम् ।
सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्व-सिद्धिदाम् ।।१३।।
विद्यां सिद्धि-प्रदां विद्यां, महा-विद्या-महेश्वरीम् ।
महेश-भक्तां माहेशीं, महा-काल-प्रपूजिताम् ।।१४।।
प्रणमामि जगद्धात्रीं, शुम्भासुर-विमर्दिनीम् ।
रक्त-प्रियां रक्त-वर्णां, रक्त-वीज-विमर्दिनीम् ।।१५।।
भैरवीं भुवना-देवीं, लोल-जिह्वां सुरेश्वरीम् ।
चतुर्भुजां दश-भुजामष्टा-दश-भुजां शुभाम् ।।१६।।
त्रिपुरेशीं विश्व-नाथ-प्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम् ।
अट्टहासामट्टहास-प्रियां धूम्र-विनाशिनीम् ।।१७।।
कमलां छिन्न-मस्तां च, मातंगीं सुर-सुन्दरीम् ।
षोडशीं विजयां भीमां, धूम्रां च बगलामुखीम् ।।१८।।
सर्व-सिद्धि-प्रदां सर्व-विद्या-मन्त्र-विशोधिनीम् ।
प्रणमामि जगत्तारां, सारं मन्त्र-सिद्धये ।।१९।।
।। फल-श्रुति ।।
इत्येवं व वरारोहे, स्तोत्रं सिद्धि-करं प्रियम् ।
पठित्वा मोक्षमाप्नोति, सत्यं वै गिरि-नन्दिनि ।।१।।
कुज-वारे चतुर्दश्याममायां जीव-वासरे ।
शुक्रे निशि-गते स्तोत्रं, पठित्वा मोक्षमाप्नुयात् ।।२।।
त्रिपक्षे मन्त्र-सिद्धिः स्यात्, स्तोत्र-पाठाद्धि शंकरी ।
चतुर्दश्यां निशा-भागे, शनि-भौम-दिने तथा ।।३।।
निशा-मुखे पठेत् स्तोत्रं, मन्त्र-सिद्धिमवाप्नुयात् ।
केवलं स्तोत्र-पाठाद्धि, मन्त्र-सिद्धिरनुत्तमा ।
जागर्ति सततं चण्डी-स्तोत्र-पाठाद्-भुजंगिनी ।।४।।
श्रीमुण्ड-माला-तन्त्रे एकादश-पटले महा-विद्या-स्तोत्रम्।।
दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ करने के लाभ -
- दस महाविद्या स्तोत्र के पाठ से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- साधक को जीवन सुख और शांति प्राप्त होती है।
- माता पार्वती के आशीर्वाद से साधक को सभी भौतिक सुख भोग कर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- साधक को परम स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता है।
- सभी प्रकार के कष्ट व पीड़ा दूर होती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- साधक साहसी बनता है।
- धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।