जो आनन्द संत फकीर करे |
जो आनन्द संत फकीर करे (Jo Anand Sant Fakir Kare Bhajan Lyrics) -
॥ दोहा ॥संत मिलन को जाइये, तजमान मोह अभिमान ।ज्यूं ज्यूं पाँव आगे धरे, कोटि यज्ञन समान ॥
आनन्द संत फकीर करे,
आनन्द संत फकीर करे ।
जो आनन्द संत फकीर करे,
वो आनन्द नाहि अमीरी में ।
आनन्द संत फकीर करे ।
सुख दुख में समता साध रहे,
कुछ खौफ नहीं जागीरी में।
जो आनन्द संत.....।।
हर रंग में सेवक रूप रहे,
अमरित जल का ज्यु कुप रहे ।
सत करम करे और चूप रहे,
भले छाँव मिले या धूप रहे ।
निष्द्रोही बने जग में विचरे,
रहे वे धीर गम्भीरी में ।
जो आनन्द संत.....।।
जग तारण कारण देह धरे,
संत सेवा करे जग पाप हरे ।
जीग्नासु के घट में ज्ञान भरे,
सत वाणी सदा मुख से उचरे ।
षड् रिपु को वश कर रंग में रमे,
रहे वे सदा शूर वीरी में ।
जो आनन्द संत.....।।
सत बोध जगत में आइ कहे,
सत मारग को दिखलाइ कहे ।
गुरु ज्ञान से पद ये गाय कहे,
सत्तार शब्द समजाइ कहे ।
मरजीवा बने सो मौज करे,
रहे वे अलमस्त फकीरी में ।
जो आनन्द संत.....।।
भजन श्रेणी: गुरुदेव भजन
भजन श्रेणी: नारायण स्वामी भजन